विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 15



( " सिर के सात द्वारों को अपने हाथों से बंद करने पर आँखों के बीच का स्थान सर्वग्राही हो जाता है ." )


यह एक पुरानी से पुरानी विधि है और इसका प्रयोग भी बहुत हुआ है .यह सरलतम विधियों से एक है . सिर के सभी द्वारों को , आँख , कान , नाक , मुंह , सबको बंद कर दो . जब सिर के सब द्वार-दरवाजे बंद हो जाते हैं तो तुम्हारी चेतना जो सतत बाहर बह रही है , एकाएक रुक जाती है , ठहर जाती है . वह अब बाहर नहीं जा सकती .

 अगर सिर के सातों छिद्र , उसके सातों द्वार बंद कर दिए जाएँ तो तुम्हारी चेतना अचानक गति करना बंद कर देगी . तब चेतना भीतर थिर हो जाती है . और उसका यह भीतर थिर होना तुम्हारी आँखों के बीच स्थान बना देता है . वह स्थान ही त्रिनेत्र , तीसरी आँख कहलाती है . अगर सिर के सभी द्वार बंद कर दिए जाएं तो तुम बाहर गति नहीं कर सकते , क्योंकि तुम सदा इन्हीं द्वारों से बाहर जाते रहे हो . तब तुम भीतर थिर हो जाते हो . और वह थिर होना , एकाग्र होना इन दो आँखों , साधारण आँखों के बीच घटित होता है . चेतना इन दो आँखों के बीच के स्थान पर केंद्रित हो जाती है . उस स्थान को ही त्रिनेत्र कहते हैं .

"यह स्थान सर्वग्राही , सर्वव्यापक हो जाता है ." यह सूत्र कहता है कि इस स्थान में सब सम्मिलित है , सारा अस्तित्व समाया है . अगर तुम इस स्थान को अनुभव कर लो तो तुमने सबको अनुभव कर लिया .