विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 100



[ " वस्तुओं और विषयों का गुणधर्म ज्ञानी व अज्ञानी के लिए समान होता है . ज्ञानी की महानता यह है कि वह आत्मगत भाव में बना रहता है , वस्तुओं में नहीं खोता . " ]

यह बड़ी प्यारी विधि है . तुम इसे वैसे ही शुरू कर सकते हो जैसे तुम हो ; पहले कोई शर्त पूरी नहीं करनी है . बहुत सरल विधि है : तुम व्यक्तियों से , वस्तुओं से , घटनाओं से घिरे हो-- हर क्षण तुम्हारे चारों ओर कुछ न कुछ है . वस्तुएं हैं , घटनाएँ हैं , व्यक्ति हैं-- लेकिन क्योंकि तुम सचेत नहीं हो , इसलिए तुम-भर नहीं हो . सब कुछ  मौजूद है लेकिन तुम गहरी नींद में सोये हो . वस्तुएं तुम्हारे चारों तरफ मौजूद हैं , लोग तम्हारे चारों तरफ घूम रहे हैं , घटनाएँ तुम्हारे चारों तरफ घट रही हैं , लेकिन तुम वहां नहीं हो . या , तुम सोए हुए हो .



विधि 100