विज्ञान भैरव तंत्र - विधि 14



( " अपने पूरे अवधान को अपने मेरुदंड के मध्य में कमल-तंतु सी कोमल स्नायु में स्थित करो . और इसमें रूपांतरित हो जाओ ." )


इस सूत्र के लिए  ध्यान की इस विधि के लिए तुम्हें अपनी आँखें बंद कर लेनी चाहिए . और अपने मेरुदंड को , अपनी रीढ़ की हड्डी को देखना चाहिए , देखने का भाव करना चाहिए . अच्छा हो कि किसी शरीर शास्त्र की पुस्तक में या किसी चिकित्सालय या मेडिकल कॉलेज में जाकर शरीर की संरचना को देख समझ लो , तब आँख बंद करो और मेरुदंड पर अवधान लगाओ . उसे भीतर की आँखों से देखो और ठीक उसके मध्य से जाते हुए कमल-तंतु जैसे कोमल स्नायु का भाव करो . अगर संभव हो तो इस मेरुदंड पर अवधानको एकाग्र करो और तब भीतर से , मध्य से जाते हुए कमल-तंतु  जैसे स्नायु पर एकाग्र होओ . और यही एकाग्रता तुम्हें तुम्हारे केन्द्र पर आरूढ़ कर देगी . क्यों ?

 मेरुदंड तुम्हारी समूची शरीर-संरचना का आधार है . सब कुछ उससे संयुक्त है , जुड़ा हुआ है . सच तो यह है कि तुम्हारा मस्तिष्क इसी मेरुदंड का एक छोर है . शरीर-शास्त्री कहते हैं कि मस्तिष्क मेरुदंड का विस्तार है . तुम्हारा मस्तिष्क मेरुदंड का विकास है . और तुम्हारी रीढ़ तुम्हारे सारे शरीर से सम्बंधित है , सब कुछ उससे सम्बंधित है . यही कारण है कि उसे रीढ़ कहते हैं , आधार कहते हैं .

 तो पहले तो मेरुदंड की कल्पना करो , उसे मन की आँखों से देखो . और तुम्हें अदभुत अनुभव होगा . अगर तुम मेरुदंड का मनोदर्शन करने की कोशिश करोगे , तो यह दर्शन बिलकुल संभव है . और अगर तुम निरंतर चेष्टा में लगे रहे , तो कल्पना में ही नहीं , यथार्थ में भी तुम अपने मेरुदंड को देख सकते हो .



विधि 100